Monday, July 5, 2010

बन्द समझो तो बन्द और खुला समझो तो खुला है




आज भारत बन्द के पावन पर्व पर  

हिन्दी काव्यमंचों के  शीर्षस्थ  व्यंग्यकार  दादा माणिक वर्मा  की 

इन पंक्तियों का आनन्द लीजिये :


भारत बन्द के दौरान  एक व्यक्ति 

केवल चड्डी पहन कर सड़क पर आया 

लोगों ने पूछा  तो उसने कारण बताया 

कि अपना विरोध और समर्थन  मिला-जुला है 

बन्द समझो तो बन्द और खुला समझो तो खुला है

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