आज भारत बन्द के पावन पर्व पर
हिन्दी काव्यमंचों के शीर्षस्थ व्यंग्यकार दादा माणिक वर्मा की
इन पंक्तियों का आनन्द लीजिये :
भारत बन्द के दौरान एक व्यक्ति
केवल चड्डी पहन कर सड़क पर आया
लोगों ने पूछा तो उसने कारण बताया
कि अपना विरोध और समर्थन मिला-जुला है
बन्द समझो तो बन्द और खुला समझो तो खुला है
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हा हा. बहुत अच्छे.
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